खिलती कली, जब मेरी राहों में तुम तुम हो इनायत मेरी, राहत हो तुम तुमको ही तो देखूँ मैं रातों में अब होने ये क्या लगा है, हुआ ये कब? हाँ, हाँ तेरी ख़्वाहिश के जहाँ में होना चाहूँ राबता मैं कह ना पाया जो कभी भी कहना चाहूँ मैं वहाँ पे तेरी ज़ुल्फ़ों की घटाएँ और ये आँखें जो मुस्काएँ तेरी राहों को मैं तकता बिन नज़रों को मैं हटाए ♪ तुम ही वजह हो मेरी होने की अब तुमसे ही दिन ढलता है, तुम ही हो सब फ़िर भी सोचूँ मैं कह दूँगा, पर... अगली मुलाक़ात में अगली मुलाक़ात में अगली मुलाक़ात में (हाँ) अगली मुलाक़ात में हाँ, हाँ हाँ, हाँ तेरे बहाने मैं भी हूँ ख़्वाहिश कभी ना थी, अब है तू तेरी हँसी का वो एक पल मेरी खुशी को दे बदल हाँ, हाँ तेरी आँखों को निहारूँ जब तू ज़ल्फ़ों को सँवारे जब तू हल्के से देखे मुझे मैं हूँ नज़रें सँभाले तुमको हँसने की वजह दूँ उस पल तुम में ही मैं गुम हूँ दिल ही दिल में मैं तो सोचूँ अब शायद मैं तुझको कह दूँ ♪ तुम ही वजह हो मेरी होने की अब तुमसे ही दिन ढलता है, तुम ही हो सब फ़िर भी सोचूँ मैं कह दूँगा, पर... अगली मुलाक़ात में अगली मुलाक़ात में अगली मुलाक़ात में (हाँ) अगली मुलाक़ात में हाँ, हाँ हाँ, हाँ