मख़मल से खिली-खिली फ़िज़ा में पागल ये ख़याल चल रहे हैं संदल भी कहीं महक रहा है बादल भी नमी में घुल रहे हैं जो ख़यालों ने तेरे छुआ, रूआँ-रूआँ है यारा करती कोशिश कशिश तेरी, छुए मुझे दोबारा मैं तर-बतर हुई तेरे ख़ुमार में मख़मल (खिली फ़िज़ा) मख़मल ♪ पर्वतों को वादी ने जो देखा तो ये पूछा है टिमटिमाते तारों ने, हाँ, रातों में कहा क्या है बादल से हारी वादे बेचारी, राहों में तारों की राहें तके जाए जो यारी तुमपे है वारी, तेरी निगाहें निगाहें तके जो उजालों ने मुझे छुआ, दुआ-दुआ है यारा करती कोशिश कशिश तेरी, छुए मुझे दोबारा मैं तर-बतर हुई तेरे ख़ुमार में मख़मल से खिली फ़िज़ा में मख़मल (खिली फ़िज़ा) मख़मल ♪ खिली-खिली मैं तर-बतर हुई तेरे ख़ुमार में (मख़मल)