तरसे हैं नैना मेरे, बिन दर्शन प्रभु तेरे देखे तुझे तो मन ये मोर बनके नाचे पतझड़ से जीवन में मेरे, आने से प्रभु तेरे आई वसंत ऋतु आँगन में है मेरे भूली ना पाऊँ मैं तुझे हर-पल तू मेरा नेम है, मैं तेरी राँजूल प्रीत है मेरी उसी निभाना मुक्ति में ले जाना लगने लगी है मुझे तेरी, मेरे नेमजी लगने लगी है मुझे तेरी, मेरे नेमजी प्रीत लगी है मुझे तेरी, मेरे नेमजी प्रीत लगी है मुझे तेरी, मेरे नेमजी