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Krishna Bhakt - Maya Ka Marich Chala Mayapati Ko Bhatkane şarkı sözleri

Sanatçı: Krishna Bhakt

albüm: Maya Ka Marich Chala Mayapati Ko Bhatkane


कंचन मृग बनकर आया
कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
कंचन मृग बनकर आया
कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
सीता बोलीं वो देखें स्वामी है मृग कंचन का
लायें चर्म निशान रहेगा चौदह बरस गमन का
सीता बोलीं वो देखें स्वामी है मृग कंचन का
लायें चर्म निशान रहेगा चौदह बरस गमन का
सिय माया की माया का मृग
सिय माया की माया का मृग लगे राम मुसकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
आप कल्पना करिये वो मृग सोने का न दिखा होता
तो क्या सीता जी चरम मांगती कदापि नहीं मांगती
साधक कहता है जो ये सोना ही माया है
ये जो सोना है ये माया है
इसी माया ने सबको फसाया है मई बाप
साधक कहता है सावधान
माया सोना है इसके आगें यह जगत खिलौना
कितने लोगों को जीवन भर सोने दिया न सोना
माया सोना है इसके आगें यह जगत खिलौना
कितने लोगों को जीवन भर सोने दिया न सोना
राम चले सोने के पीछे हम सब को समझाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
घर में सोना अधिक हो जाये तो मई बाप रात का सोना चला जाता है
राम जी सोने के पीछे दौड़ क सन्देश देना चाहते है की म ब्रह्म हु
और में सोने के पीछे जा रहा हु परीवार से दूर हो गया
यदि मुझे देख कर तुम नहीं सम्ब्ले तो और तुम भी सोने के पीछे बागो गे
तो एक दिन तुम भी परिवार से दूर चले जाओगे साधक कहता है
मायापति को भी वन में इतना दौड़ाई माया
इसी लिए जीवन में कही पड़े न माया की कही छाया
मायापति को भी वन में इतना दौड़ाई माया
इसी लिए जीवन में कही पड़े न माया की कही छाया
रही नचा रहा जो जग को उसे माया चली नचाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
कंचन मृग बनकर आया
कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने

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