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Ravindra Jain - Bansi Bajaiya şarkı sözleri

Sanatçı: Ravindra Jain

albüm: Biraj Mein Hori Khele Re Rasiya


माधव के हाथ में जादू की छड़ी है
वाही में जान मेरी अटकी पड़ी है
साँझ ढले, साँझ ढले क़दम तले तेरे कन्हैया
(साँझ ढले क़दम तले तेरे कन्हैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया
(बंसी बजैया, हो, सखी बंसी बजैया)
बाँकी है चितवन और बाँकी मुस्कान
बाँके की बंसी छोड़े मर्म भेदी बाण
फूँक मारे, फूँक मारे जादू डारे, दैया-रे-दैया
(फूँक मारे, फूँक मारे जादू डारे, दैया-रे-दैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया
(बंसी बजैया, हो, सखी बंसी बजैया)

नींद हरे, चैन हरे, सुध-बुध हरे (सुद-बुद हरे)
हरे बाँस वारी बंसी घाव हरे करे (घाव हरे करे)
तंग दिन-रात करे मूल की बंसी
जब-तब उत्पात करे मूल की बंसी
बढ़-चढ़ के बात करे मूल की बंसी
प्राणों पर घात करे मूल की बंसी
फिर भी हमें, फिर भी हमें प्यार लगे नंद को छैया
(फिर भी हमें प्यार लगे नंद को छैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया
(बंसी बजैया, हो, सखी बंसी बजैया)

नाम पे रसपान के विष पान किए जाए (विष पान किए जाए)
बंसी के तान पे मिटने को जिए जाएँ (मिटने को जिए जाएँ)
कुल की मर्यादा, मान (कर दिए स्वाहा)
लाज-काज, ज्ञान-ध्यान (कर दिए स्वाहा)
सब सुख तिनके समान कर दिए स्वाहा
मन, आत्मा, देह, प्राण कर दिए स्वाहा
किंतु नहीं, किंतु नहीं मोल जाने मोल लगैया
(किंतु नहीं मोल जाने मोल लगैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया

माधव के हाथ में जादू की छड़ी है
वाही में जान मेरी अटकी पड़ी है
साँझ ढले, साँझ ढले क़दम तले तेरे कन्हैया
(साँझ ढले क़दम तले तेरे कन्हैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया

बाँकी है चितवन और बाँकी मुस्कान
बाँके की बंसी छोड़े मर्म भेदी बाण
फूँक मारे, फूँक मारे जादू डारे, दैया-रे-दैया
(फूँक मारे, फूँक मारे जादू डारे, दैया-रे-दैया)
बंसी बजैया, हो, मेरा बंसी बजैया
(बंसी बजैया, हो, सखी बंसी बजैया)
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो, हो-हो-हो

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