कैसे? जियूँगा कैसे? बता दे मुझको, तेरे बिना कैसे? जियूँगा कैसे? बता दे मुझको, तेरे बिना तेरा-मेरा जहां, ले चलूँ मैं वहाँ कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले रख लूँ आँखों में मैं खोलूँ पलकें ना मैं कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले मैं अंधेरों से घिरा हूँ आ, दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा मैं भटकता एक मुसाफिर आ, दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा जागी-जागी रातें मेरी रोशन तुझसे है सवेरा तू ही मेरे जीने की वजह जब तक हैं ये साँसें मेरी इनपे है सदा हक तेरा पूरी है तुझसे मेरी दुआ तेरा-मेरा जहां, ले चलूँ मैं वहाँ कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले रख लूँ आँखों में मैं खोलूँ पलकें ना मैं कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले मैं अंधेरों से घिरा हूँ आ, दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा मैं भटकता एक मुसाफिर आ, दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा कैसे, जियूँगा कैसे? बता दे मुझको, तेरे बिना कैसे, जियूँगा कैसे? बता दे मुझको, तेरे बिना तेरा-मेरा जहां, ले चलूँ मैं वहाँ कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले रख लूँ आँखों में मैं खोलूँ पलकें ना मैं कोई तुझको, ना मुझसे चुरा ले मैं अंधेरों से घिरा हूँ आ, दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा मैं भटकता एक मुसाफिर आ, दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा