जो सोन मछली का बदन लेकर डूबी रहती इस झील की तह में तुम चाँद की तरह आते हो इस झील के पानी पर और रोशनी कर देते हो अंधेरे मेरे घर में तुम तैरते और कहते "इस झील की तन्हाई में और काश कोई होता जो प्यार तुम्हें करता" मैं आती किनारे तक और दोस्ती कर लेती सोन मछली तुम्हारी तन्हाई को भर देती और तुमको सुकूँ मिलता तुम सोचते "काश इस झील में सोन मछली रहा करती"