ख़्वाबों से मैं लेके आऊँ, तुझे ले चलूँ उस जगह हूँ जहाँ मैं, हो जहाँ तुम, पर हम भी हों कुछ इस तरह तुझ से ही मुझे हैं सँवारने मेरे रास्ते जाने ना कहीं दूँ मैं ये तेरी मुस्कुराहटें पर ख़्वाह-मख़ाह नहीं बातें अनकही सुन ले थोड़ा सँभल, थोड़ा ठहर लम्हे मिले जो आज शायद हों ना कल थोड़ा सँभल, थोड़ा ठहर जी ले इन्हें तू आज शायद हों ना कल ♪ क्यूँ अपने दरमियाँ रहें खोखली (खोखली) दुनिया की रस्में? क्या ये काफ़ी नहीं है? साथ हैं दोनों इस पल में मिल के ढूँढ लें, ढूँढ लेंगे रास्ते प्यार के दिल के वास्ते कूद लेंगे फिर तेरे प्यार में थोड़ा सँभल, थोड़ा ठहर लम्हे मिले जो आज शायद हों ना कल थोड़ा सँभल, थोड़ा ठहर जी ले इन्हें तू आज शायद हों ना कल