Kishore Kumar Hits

Farhan Khan - Khamoshi şarkı sözleri

Sanatçı: Farhan Khan

albüm: Khamoshi


कुछ तो तू भी कह दे
खामोशी तेरी आती है तूफ़ान लेके
कश्ती को किनारे दे
डूबा दे या फिर तू मुझे तेरी पनाह में लेके
जो लौटेगी तो इंतज़ार दे-दे
रातें कटती नहीं दिन भी इम्तेहान लेते
ये मेरे हाल-ए-दिल की तुझे जिम्मेदार कहते
ये बे-ख़बर, मैं ज़िंदा हूँ तेरे ही आसरे पे
फ़ासलों से ये मोहब्बत कभी कम ना होगी
लुटा दूँ खुद को वादों पे तो फिर कसर क्या होगी?
असर ना होगी कोई दवा भी मुझ दीवाने पे
गवाह है रातें तेरे बिन जो अब बसर ना होगी
बारिशों में अब मैं झूमूँ कैसे?
बसा तू आँखों में तो आँखों को मैं चूमूँ कैसे?
हाथ काँपे मेरे छू लूँ कैसे?
सबक जो सीखे तुझसे उनको अब मैं भूलूँ कैसे?
जलते हैं आशिक़ जब जाके बनता है काजल तेरा
दिल ये दफ़न, कफ़न बना लिया है आँचल तेरा
रोता है बादल रूठा बैठा मुझसे सावन मेरा
ज़ुल्फ़ों को छूना चाहता फिर से तेरी पागल कहरा
तू बहती नदी सी, हूँ रुका हुआ मैं
है तू मुकम्मल सी, और टूटा हुआ मैं
ना तेरे आगे कोई वजूद है मेरा
खजाने सी है तू, लूटा हुआ मैं
वो ग़म भूलाने को देते शराब खोल के
पर पीना तेरे हाथ से तू दे ज़हर को घोल के
क्यूँ हिचकियाँ, क्यूँ यादें, क्यूँ चेहरा नहीं भूल पाते?
मुझे दे निजात एसे मेरी रूह जिस्म को छोड़ दे
करवटों का हिसाब कर के बैठा
मैं राज़दार, राज़ तेरे हूँ छुपा के रहता
ना गर्ज़ है मुझे किसी की परछाई की
मैं बाद तेरे खुद के सायों से जुदा हूँ रहता, कुछ तो कह जा
कुछ तो तू भी कह दे
खामोशी तेरी आती है तूफ़ान लेके
कश्ती को किनारे दे
डूबा दे या फिर तू मुझे तेरी पनाह में लेके
जो लौटेगी तो इंतज़ार दे-दे
रातें कटती नहीं दिन भी इम्तेहान लेते
ये मेरे हाल-ए-दिल की तुझे जिम्मेदार कहते
ये बे-ख़बर, मैं ज़िंदा हूँ तेरे ही आसरे पे
अब सीने में साँसें कम आँखें नम, माहौल उदासी का
लगाया गले बाहें तेरी बनी फंदा फाँसी का
मोहब्बत मेरी पाकीज़ा कर दी तुझ पे थी जान निसार
फिर दफ़न किया तूने खड़ी कर के बीच में ये दीवार
दे-दे दीदार मैं हूँ तरसा बैठा
मैं बंद तेरा खुदा मुझसे अब ये पर्दा कैसा?
मुनाफ़ा छोड़ मोहब्बत का मुझे कर्जा दे जा
मैं कर्जा लेके तुझसे तेरे ही हूँ सदका देता
हवाएँ जानती हैं साँसें तेरे नाम की
लौटेगा तू जरूर तभी साँसें अपनी थाम ली
चेहरा नूररानी आफ़रीन है तुझसे थी आँख नहीं
अंधेरा चारों ओर ज़िंदगी मैं जो तू पास नहीं है
किताबों से बातें करूँ मैं तेरा नाम लेके
बदले में आते ना कुछ जवाब लेके, वे पाने फिर फाड़ देते
आसान ना इश्क़ अब ये सब मेरी मिसाल देते
दरिया तू मैं डूबा तू आँखों में घूमें आग लेके
तू मेरे लफ़्ज़ों में बसी जैसे की शायरी
तू मेरी थी बस पहले किसी महफ़िल में ना गायी गई
पर अब तू है ज़माने की तो लिख के अब क्या फ़ायदा
हर जुबान पे तू तुझसे अब शुरू है हर मुशाइरा
अब तेरी गलियों में ठिकाना कर लिया
पर तूने जाके यहाँ से गलियों को वीराना कर दिया है
आँखों से मोती का खज़ाना भर लिया
तुझे पैमाने से दीवाने ने मयखाना कर दिया है
कुछ तो तू भी कह दे
खामोशी तेरी आती है तूफ़ान लेके
कश्ती को किनारे दे
डूबा दे या फिर तू मुझे तेरी पनाह में लेके
जो लौटेगी तो इंतज़ार दे-दे
रातें कटती नहीं दिन भी इम्तेहान लेते
ये मेरे हाल-ए-दिल की तुझे जिम्मेदार कहते
ये बी-ख़बर, मैं ज़िंदा हूँ तेरे ही आसरे पे

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