ना हैं कोई शिकायतें ना हैं कोई आहटें ना हैं कोई ज़रूरतें ना हैं कोई फ़रमाइशें ना है होता उजाला यहाँ ना है सावन का पता ना कलियाँ खिलतीं इधर ना खुशियों का पता कमी है तेरी यहाँ कमी है के तू ना यहाँ ♪ ना मिलता मुझ को सुकूँ जब तक तू ना हो रू-ब-रू क्या तू है एक नदी? कहाँ पे ख़तम, कहाँ से शुरू? ना मेरी ये आदतें सताएँगी तुम्हें ना होंगी ये बेचैनियाँ मुझे-तुम्हें कमी है तेरी यहाँ कमी है जो तू ना यहाँ कमी है तेरे यहाँ (जाँ) कमी है तेरी सदा मुझे