ये इश्क़ की इंतहा लेने लगी इम्तिहाँ हद से गुज़रने लगी हैं मेरी चाहतें धड़कन की बेताबियाँ करने लगी इल्तिजा लग जा गले से ज़रा तो मिले राहतें जो तुम हो तो ये लगता है कि मिल गई हर खुशी जो तुम ना हो, ये लगता है कि हर खुशी में है कमी तुम को है माँगती ओ, नादाँ... ओ, नादाँ परिंदे, घर आजा घर आजा, घर आजा, घर आजा नादाँ परिंदे, घर आजा नादाँ परिंदे, घर आजा तू देस-विदेस फिरे मारा तू रात-बिरात का बनजारा, नादाँ ♪ तुम हो तो गाता है दिल तुम नहीं तो गीत कहाँ तुम हो तो है सब हासिल तुम नहीं तो क्या है यहाँ? ढल रही शाम है, दिल तेरे नाम है इसकी आदत बनी है तेरी यारियाँ चाँद हूँ मैं, तू है तारा, इक वारी आ इक वारी आ भी जा, यारा, इक वारी आ है प्यार तो कई दफ़ा किया तुझसे नहीं किया तो क्या किया? तेरा-मेरा ये वास्ता है इस ज़िंदगी की दास्ताँ या फिर कोई हमारा पहले से है राबता तुम को है माँगती ये ज़िंदगी इक वारी आ, आ भी जा इक वारी आ, आ भी जा इक वारी आ (ओ, नादाँ...) जो तुम हो तो ये लगता है ओ, नादाँ... कि मिल गई हर खुशी तुम हो तो...