दिलकशो, दिलनशीं, मैं हूँ इक कली खुशबुओं रंगो की, बाहों मैं पड़ेह मेहका सा अंग है, बहका सा रंग है क्यूँ मैं हूँ मनचली, किसको यहाँ है पता यह कैसा रूप है, हो छाओं या धुप है है नाज़ुक सी कली तू कौन है येह बता तू महकी महकी, तू जवान जवान रंगो बरी होगी दास्तान यूँही खिली तू, जिनसे मिली तू कैसे कैसे बावरे थे हमे बता दे कैसे सुनाऊँ मैं येह दास्तान कोई जैसे येह कहेता है यहां बीता हुआ कल, बीते हुए पल धीरे धीरे दिल से तू उन्हें भुला दे कल येह कली न रहे भी तोह गम क्या राह मैं फूल और कलियाँ हैं कम क्या जाओ जहाँ, देखो जहाँ चेहरों की कलियाँ ही कलियाँ है खिलती वहां देखना हो मेहका सा अंग है, बहका सा रंग है क्यूँ री ए मनचली, तू कौन है येह बता यह कैसा रूप है, हो छाओं या धुप है है नाज़ुक सी कली तू कौन है येह बता तू महकी महकी, तू जवान जवान रंगो बरी होगी दास्तान यूँही खिली तू, जिनसे मिली तू कैसे कैसे बावरे थे हमे बता दे कैसे सुनाऊँ मैं येह दास्तान कोई जैसे येह कहेता है यहां बीता हुआ कल, बीते हुए पल धीरे धीरे दिल से तू उन्हें भुला दे हमे बता दे