ऐसा येई बा साई दिगंबरा, साई दिगंबरा अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा) काशी स्नान जपा प्रतिदिवशी कोल्हापूर भिक्षेसी निर्मल नरीतुंगा जलप्राशी निद्रा माहुरदेशी ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा) झोळी-लोंगट असे वामकरी त्रिशूल-डमरू धारी भक्ता वर्द सदा सुखकारी देशील मुक्तीचारी ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा) पायी पादुका जप माला कमंडलू मृगछाला धारण करशी बा नागजटा मुकुट शोभतो माथा ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा) तत्पर तुझिया या जे ध्यानी अक्षय त्यांचे सदनी लक्ष्मी वास करी दिनरजनी रक्षिसी संकट वारूनी ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा) सुंदर ध्यान तुझे गुरुराया दृश्य करी नयना या पूर्णा नंद सुखे ही काया लाविसी हरिगुण गाया ऐसा येई बा (साई दिगंबरा, साई दिगंबरा) (अक्षय रूप अवतारा सर्वही व्यापक तु श्रुतीसारा) (अनुसया त्रिकुमारा ऐसा येई बा)